बेटो ने मिलकर माता- पिता को उनकी ही जमीन से बेदखल किया वर्षों बाद बापने इस सबक सिखाया की बेटों को नाक रगड़कर वापस बुलाना पड़ा ।

ईश्वर जीवन मे आदमी को खूब धन संपदा वैभव यश कीर्ति देता है और मनुष्य भी ईश्वर का धन्यवाद अदा करते हुए उन्हें अपनी संतानों तक पहुंचाता है मगर इस कलयुग्मे यह भी सही है कि माता-पिता अपनी कई संतानों का एक साथ पालन-पोषण कर लेते हैं लेकिन संस्कारित परिवार के कुछ बच्चे ऐसे भी होते है जो अपने माता पिता को उनके उत्तर काल मे साथ नहीं रख पाते. यह दासता है ऐसे दंपति की जो पांच पांच बेटो के होते हुए भी दर दर की ठोकर खाने को विवश है । 
इन पांच कलयुगी बेटों ने अपने बुजुर्ग मां और 86 साल के पिता हीरालाल साहू को झोपड़ी में रहने पर मजबूर कर दिया. और वे पिछले 15 सालों से झोपड़ी में गुजारा कर रहे थे. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा खरीदी हुई जमीन पर उनके पांच बेटे सुमरन लाल, हुकूम साहू, प्रमोद साहू, उमांशकर और कीर्तन साहू ने मिलकर एक मकान बना लिया  और विकलांग माँ तथा बुजुर्ग बाप को बेटों ने घर से बेदखल कर दिया, मगर जुल्म सहते सहते हीरालाल साहू ने ऐसा कदम उठाया जो हर माता-पिता और बच्चों के लिए सबक है.
86 साल के हीरालाल अपनी पत्नी के साथ पिछले 15 सालों से एक झोपड़ी में रह रहे हैं. उन्होंने कई बार अपने बेटों से मिन्नतें कीं कि वो उन्हें उस घर में रखें लेकिन उन्हें रखना तो दूर कोई बेटा बात करने को भी तैयार नहीं था तब जैसे-तैसे हीरालाल ने हिम्मत जुटाकर अपने बेटों के खिलाफ चिखली थाने में मामला दर्ज कराया . चिखली पुलिस ने वरिष्ठ नागरिक सुरक्षा अधिनियम 2007 की धारा 24 के अंतर्गत पांचों बेटों पर मामला दर्ज कर  कार्यवाही शुरु कर दी है. हीरालाल पहले शासकीय प्रेस के कर्मचारी थे और उन्होंने नौकरी के दौरान ही अपने नाम से जमीन यह सोचकर खरीदी कि भविष्य में बेटों और पोतों के साथ शान से जिंदगी बिताएंगे. मगर इसी जमीन पर बेटों ने उनकी असहमति से मकान बनवा लिया और परिवार के बुजुर्ग माता-पिता को घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया. कार्यवाही होने के बाद अब हीरालाल अपने जमीन पर बने मकान में जीवन बिता पाएंगे जबकि वे पिछले 15 साल से बेटों की वजह से झोपड़ी में रह रहे थे.
पुलिस में शिकायत के बाद उनके चारों बेटों को गिरफ्तार कर लिया गया है. हीरालाल का एक बेटा भोपाल में रहता है जिसके चलते पुलिस नहीं पहुंच पाई लेकिन बाकी बेटों को गिरफ्तार किया गया और इन सबमें अहम बात ये है कि बेटों को अब जमानत भी मिल गई है. जमानत के बाद चारों बेटे ने अपने माता को घर ले जाने की बात में हामी भरी है.
15 सालों से झोपड़ी में रहने वाले हीरालाल ने भी कई अच्छे काम किए हैं लेकिन उनका सबसे बड़ा परोपकार का काम तब हुआ जब उन्होंने केरल बाढ़ पीड़ितों को 70 हजार रुपये का दान किया था. जिला प्रशासन के माध्मय से उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान जुटाई रकम को बाढ़ पीड़ितो को दान दिया. माता-पिता इंसान की सबसे बड़ी प्रॉपर्टी होते हैं और उन्हें किसी भी हाल में खुश रखना चाहिए. इस खबर से वर्तमान पीढ़ी को कुछ सीखना चाहिए साथ ही इस तरह के जुल्म सह रहे लोगो को भी खुलकर सामने आना चाहिए ताकि ऐसे बेटों को सबक मिल सके।