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उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास श्री सीएल केवड़ा द्वारा जिले के समस्त किसान भाईयों से अपील की गई है कि खेतों में नरवाई न जलायें। कलेक्टर शशांक मिश्र द्वारा इस सम्बन्ध में आदेश जारी किया गया है। गेहूं और अन्य फसलों को काटने के बाद बचे हुए फसल अवशेष जलाना खेती के लिये आत्मघाती कदम है। वर्तमान में जिले में लगभग गेहूं फसल की कटाई प्रारम्भ हो गई है। नरवाई में आग लगाने से पर्यावरण में प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी की संरचना भी प्रभावित होती है।
इस सम्बन्ध में कलेक्टर द्वारा आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं, जिनका उल्लंघन किये जाने पर दो एकड़ से कम भूमि रखने वाले को 2500 रुपये प्रति घटना, दो एकड़ से अधिक लेकिन पांच एकड़ से कम भूमि रखने वाले को 5000 रुपये प्रति घटना और पांच एकड़ से अधिक भूमि रखने वाले को 15 हजार रुपये प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देना होगी। इसके अलावा कंबाईन हार्वेस्टर से कटाई के उपरान्त फसल अवशेषों में आग लगाने की घटनाओं को देखते हुए रबी की कटाई में कंबाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम को लगाने की अनिवार्यता सुनिश्चित करने के लिये सम्बन्धित एसडीएम को निर्देश दिये गये हैं। यदि किसान स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग नहीं करना चाहते हैं तो उन्हें स्ट्रा रीपर का उपयोग करके फसल अवशेषों से भूसा प्राप्त करना अनिवार्य होगा। ज्ञात हो कि नरवाई जलाने पर पुलिस द्वारा प्रकरण भी दर्ज किया जा सकता है।
जिला कलेक्टर के आदेश से नरवाई जलाना जिले में प्रतिबंधित