रतन टाटा ने बयां की प्रणय दिवस पर अपने अधूरे प्यार की दास्तान ।

प्रणय दिवस पर बयां की रतन टाटा ने अपने अधूरे प्यार की कहानी


वैलेंटाइन डे के मौके पर देश के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा ने अपनी प्रेम कहानी सांझा की है। टाटा ने बताया कि वह कैसे प्यार में पड़ गए थे और कैसे शादी होते-होते रह गई। दरअसल यह पूरा किस्सा अमेरिका के लॉस एंजिल्स का है जहां कॉलेज की पूरी पढ़ाई करने के बाद रतन टाटा एक आर्किटेक्चर कंपनी में नौकरी करने लगे थे।
रतन टाटा बताते हैं कि 1962 का वह दौर बहुत अच्छा था क्योंकि लॉस एंजिल्स में ही उन्हें किसी से प्यार हो गया था। शादी लगभग पक्की हो चुकी थी लेकिन दादी की तबीयत खराब होने की वजह से टाटा को भारत लौटने का फैसला लेना पड़ा। भारत वापस लौटते वक्त रतन टाटा को ये उम्मीद थी कि वो जिससे शादी करना चाहते हैं वह भी साथ आएगी लेकिन भारत-चीन युद्ध की वजह से उनके माता-पिता तैयार नहीं हुए और रिश्ता खत्म हो गया।
रतन टाटा जब 10 साल के थे तभी उनके माता-पिता के बीच तलाक हो गया था। इसके बाद उनकी परवरिश दादी नवजबाई ने की। रतन टाटा बताते हैं कि माता-पिता के अलग होने की वजह से मुझे और मेरे भाई को कुछ परेशानियां तो जरूर हुईं लेकिन इन सबके बावजूद भी हमारा बचपन खुशी से बीता।
आपने बताया कि दूसरे विश्व-युद्ध के खत्म होते ही दादी हम दोनों भाइयों को छुट्टियां मनाने लंदन ले गईं। दादी ने ही हमें जिंदगी में मूल्यों की अहमियत बताई। उन्होंने ही समझाया कि प्रतिष्ठा सब चीजों से ऊपर होती है। रतन टाटा बचपन में वायलिन सीखना चाहते थे लेकिन उनके पिता जी पियानो पर जोर देते थे। रतन टाटा की सोच उनके पिता जी से बिल्कुल भी नहीं मिलती थी। टाटा कॉलेज की पढ़ाई अमेरिका में करना चाहते थे लेकिन उनके पिता जी यूके भेजना चाहते थे। रतन टाटा की इच्छा आर्किटेक्ट बनने की थी लेकिन उनके पिता जी इंजीनियर बनाना चाहते थे।
किंतु उसमे काफी रुकावट आई सच यह है कि अगर दादी नहीं होती तो मैं अमेरिका में पढ़ाई नहीं कर पाता। दादी की वजह से ही मैं मैकेनिकल इंजीनियरिंग से स्विच कर आर्किटेक्ट में एडमिशन ले पाया। इस बात से रतन टाटा के पिता जी नाराज भी थे। टाटा कहते हैं कि यह बात भी दादी ने सिखाई कि अपनी बात रखने की हिम्मत करने का तरीका भी विनम्र और शालीन हो सकता है।