कोरोना संक्रमण के बीच वैज्ञानिकों ने ऐसा मास्क बनाने का दावा किया है जो वायरस के संपर्क में आते ही रंग बदलने लगेगा ।

चीन के वुहान से उपजे कोरोना वायरस (Coronavirus) ने दुनियाभर के 180 से अधिक देशों को अपनी चपेट में ले रखा है। लाखों लोगों की जाने लेने वाली इस महामारी के इलाज के लिए अभी तक किसी भी तरह की वैक्सीन नहीं खोजी जा सकी है। इस सब के बीच मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों एक ऐसा मास्क (Mask) बनाने का दावा किया है, जो कोरोना के खिलाफ जारी इस वैश्विक जंग में एक कारगार हथियार साबित हो सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार इस संस्थान के वैज्ञानिक एक ऐसा मास्क बना रहे हैं जो वायरस के संपर्क में आते ही रंग बदलने लगेगा।


जीका और ईबोला के कहर के बीच भी बनाया था इस तरह का मास्क
इससे पहले इसी संस्थान के वैज्ञानिकों ने साल 2014 में एक ऐसा मास्क बनाया था जो जीका (ZIKA) और ईबोला (EBOLA) के वायरस के संपर्क में आते ही सिग्नल देने लगता था। जिसके बाद अब एक बार फिर एमआईटी और हार्वर्ड के वैज्ञानिक इसी तररह का मास्क बनाने में जुटे हुए हैं। जो वायरस के संपर्क में आते ही ग्लो यानी चमकने लगेगा। इसमें ऐसे सेंसर्स लगे होंगे जो कोरोना वायरस के छूते ही आपको बता देंगे कि संक्रमण का खतरा है या नहीं। वैज्ञानिक जिम कॉलिंस के मुताबिक जैसे ही कोई कोरोना संदिग्ध इस मास्क के सामने सांस लेगा, छींकेगा या खांसेगा तो तुरंत वो मास्क फ्लोरोसेंट रंग में बदल जाएगा। यानी चमकने लगेगा।


शुरूआती दौर में है इस स्मार्ट मास्क के निर्माण की प्रक्रिया
अगर ये तकनीक सफल साबित हुई। तो दूसरे तरह के स्क्रीनिंग तरीकों को मात दे देगा। फिलहाल ये प्रोजेक्ट शुरुआती दौर में है। जिम ने बताया कि अगले कुछ ही दिनों में हम इस मास्क का ट्रायल करेंगे। सफलता मिलने की पूरी उम्मीद है। हमने इस बार मास्क में पेपर बेस्ड डायग्नोस्टिक के बजाय प्लास्टिक, क्वार्ट्ज और कपड़े का उपयोग कर रहे हैं। इस मास्क के अंदर कोरोना वायरस का डीएनए और आरएनए आएगा वह तुरंत मास्क के अंदर मौजूद लायोफिलाइजर के साथ जुड़कर रंग बदल देगा। ये मास्क कई महीनों तक कमरे के तापमान पर सुरक्षित रखा जा सकता है। इसे कई महीनों तक उपयोग कर सकते हैं।